Na Bairi Na Koi Begana Volume 1 (Hindi) – Surender Mohan Pathak |
अब हाज़िर है जिसका आप सबको रहा है इंतज़ार!
मेरी कहानी, मेरी अपनी ज़ुबानी। मेरी आत्मकथा के इस पहले भाग को पढ़ते हुए कभी आपको हंसी आएगी, कभी आंख नम हो जाएगी… और कई बार मेरा हाथ थामे मेरे बचपन से गुज़रते हुए ऐसा लगेगा जैसे दिल में कुछ नम पिघल रहा है। तो चलिए रू-ब-रू होते हैं उनकी 298वीं रचना, न बैरी न कोई बेगाना से… |
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