सुन्दरीजल, ८ मार्च, १९६२ आज से फिर जर्नल लिखने का निश्चय किया है मैने । मेरी खुद अपने प्रति कभी न ख़त्म होने वाली शिकायत है, मुझ में नियमितता नहीं है । लगता नहीं है कि अब इस उम्र में जीवनभर की अवधि लेकर लगी हुई आदत बदल भी सकंगा । साथ ही यह स्वीकार करने के लिए भी मेरा मन तैयार नहीं हो सका है कि अपनी इस आदत के बंधन से मुक्त होने की मइ में सामर्थ्य नहीं है । स्वभाव से हार जाने पर भी मन से हारा नहीं हूँ। |
Jail Journal (Hindi) – Bishweshwar Prasad Koirala
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